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01. जजमेंट

राजस्थान हाई कोर्ट, जोधपुर :

जज साहब सिर थामे अपनी कुर्सी पर बैठे थे । आँखों के नीचे हल्के काले घेरे और माथे पर शिकन थी । एक ही केस, वही झिकझिक... हर पेशी पर वही नाटक ।

उनके सामने खड़े प्रोसिक्यूटर, मिस्टर पूरभ, अपनी बात रखते जा रहे थे, आवाज़ में कटाक्ष साफ था ।

“योर ऑनर ! लगता है आज भी मिस्टर राजवंशी इस कोर्ट की अहमियत को नज़रअंदाज़ करना चाहते हैं । हर बार की तरह आज भी वे पेश नहीं हुए । कब तक, योर ऑनर ? कब तक ये कोर्ट उनके गुरुर का तमाशा देखेगा ? कोर्ट की भी कुछ मर्यादाएं है ।”

जज ने भारी सांस ली और नाराज़गी से डिफेन्स लॉयर, मिस्टर रावल की ओर देखा । “कहाँ हैं मिस्टर आयांश राजवंशी ? क्या उन्हें इस कोर्ट के नियमों की परवाह नहीं ? उनकी गैरमौजूदगी कोर्ट का अपमान है । आप जानते है न ये बात ?"

रावल साहब तुरंत अपनी कुर्सी से खड़े हो गए, थोड़े हिचकिचाते हुए बोले,

“हम पूरी तरह समझते हैं योर ऑनर । हमने राजा सा को सूचना दे दी थी । शायद किसी जरूरी कार्य में अटक गए हों…” 

उनके शब्दों में मजबूरी भी थी और डर भी । तभी एक 30 वर्ष के आसपास की महिला अपनी जगह से एक झटके में खड़ी हुई और बोली, “देखा, योर ऑनर ? अगर मेरे ex-husband के पास इतने जरूरी हियरिंग में आने का समय नहीं है, तो वो मेरी बच्ची की परवरिश कैसे करते होंगे ?”

उसकी आवाज़ तेज़ और तीखी थी, जैसे बर्फीली हवा में छिपा ज़हर । वो बहुत खूबसूरत थी — बला की हसीन । पर आँखों से छलकता उसका घमंड और लालच सब कुछ धुंधला कर देता था ।

पूरभ ने बात लपक ली ।

“Exactly, your honor ! मेरी क्लाइंट मिस गोयल बिल्कुल सही कह रही हैं । अगर मिस्टर राजवंशी इतने गैरज़िम्मेदार हैं कि आज भी नहीं पहुंचे, तो वो अपनी बच्ची — आठ साल की मासूम आर्या राजवंशी — की देखभाल कैसे करते होंगे ? एक बच्ची को बाप की दौलत नहीं, माँ की ममता चाहिए । प्लीज़ योर ऑनर, मेरी क्लाइंट को उनकी बेटी की कस्टडी दीजिए ।”

कोर्टरूम में सन्नाटा छा गया ।

और उसी सन्नाटे को चीरती हुई भारी, रॉयल और ठंडी आहट गूंजने लगी — गार्ड्स के कदमों की आवाज़… भारी दरवाज़े की चटक… और फिर — वो दाख़िल हुआ ।

आयांश राजवंशी — मेवाड़ का राजा ।

ऊँचा कद, नापा हुआ काला रॉयल सूट, आँखों में तेज़ और चाल में रौब । उसके चेहरे पर ना घबराहट थी, ना अफ़सोस — सिर्फ एक ठंडी, बेपरवाह शांति । मानो इस कोर्ट का फैसला नहीं, वक्त का फैसला लेकर आया हो । वो धीरे - धीरे चलता हुआ कोर्ट के बीचोंबीच आया । हर कदम जैसे ज़मीन को हिला रहा था । कोर्ट में बैठे हर शख़्स की नजरें अब उसी पर थीं । वो सीधा जज के सामने रुका । आवाज़ शांत थी, पर इतनी गूंजदार कि दीवारें सुन लें ।

“माफ़ कीजिए, योर ऑनर ।

आज सुबह ही मुझे इस sudden hearing की जानकारी मिली । मेवाड़ से जोधपुर तक आने में कम से कम चार घंटे तो लगते ही हैं । इसलिए देर हुई… लेकिन disrespect का मेरा कोई इरादा नहीं था ।”

उसे आ गया देख इस वक्त पुरभ और इशिता आपस में नजरे मिलाकर मानो आँखों ही आँखों में बाते कर रहे थे । पूरभ इशिता से सवाल कर रहा था कि आयांश यहाँ कैसे ? उसे यहाँ नहीं होना चाहिए था न ? इशिता जवाब में कह रही थी कि उसे खुद भी नहीं पता ये सब कैसे हुआ । 

पूरभ गला खराश कर बोला, "बताने का कष्ट करेंगे राजा सा आपके हर बार की इस अनुपस्थिति का कारण ?"

आयांश एक पल को रुका… फिर नजरें इशिता पर डालते हुए बोला, “Ms. Goyal को कोई explanation देना मेरी ज़िम्मेदारी नहीं है।

लेकिन चूंकि ये कोर्ट है — मैं जवाब दे रहा हूँ । और हाँ... Thanks to her generosity, मेरे ex-lawyer को कुछ ‘खास फायदे’ देकर उन्होंने पिछली hearings की खबर तक मुझ तक नहीं पहुँचने दी। इसलिए... आज से मेरे नए वकील — मिस्टर रावल — ये केस संभालेंगे ।”

पूरा कोर्टरूम सकते में था । पूरभ की गर्दन झुक गई । इशिता की मुस्कान गायब हो चुकी थी ।

और आयांश… अब भी उसी ठंडी शांति से खड़ा था ।

राजा कभी देर से नहीं आता । वो बस तब आता है — जब खेल पलटना हो ।

कोर्टरूम में सन्नाटा पसरा था । हर कोई आयांश राजवंशी की मौजूदगी के असर में था । लेकिन जज साहब… वो अब भी गंभीर थे । उन्होंने चश्मा ठीक किया, एक लंबी सांस ली फिर बोले, “मिस्टर राजवंशी, हम आपकी परिस्थितियाँ समझते हैं । ये सच है कि एक साथ अपना बिज़नेस एम्पायर और मेवाड़ की ज़िम्मेदारी निभाना आसान नहीं । हम जानते हैं, आप एक व्यस्त और जिम्मेदार व्यक्ति हैं ।”

आयांश चुपचाप खड़ा रहा, आँखों में हलकी थकावट और बहुत गहरी सोच । पर चेहरे पर एक राजसी नूर ।

जज ने बात जारी रखी,

“पर कोर्ट के लिए सबसे बड़ा सच ये है कि आपकी बेटी, राजकुमारी आर्या, केवल आठ साल की है । एक मासूम, जो अपनी माँ से दूर है, और जिसकी पूरी परवरिश एक पुरुष के हाथ में है, जो ज़ाहिर तौर पर इस उम्र में पूरी तरह उपलब्ध नहीं रह सकता ।

एक बच्चे की ज़रूरत सिर्फ पैसे और पावर से पूरी नहीं होती, मिस्टर राजवंशी । उसे चाहिए दुलार, देखभाल और ममता । उसे चाहिए — एक माँ ।”

पूरा कोर्ट रूम अब बेहद भावुक और गंभीर हो चुका था । इशिता की आँखों में चालाकी की चमक लौट आई थी ।

जज ने अब सीधी चेतावनी दी:

“आपके पास एक महीना है । या तो आप इस कोर्ट को संतुष्ट करें कि राजकुमारी आर्या के जीवन में एक स्थायी, स्थिर माँ - समान मौजूदगी है…

या फिर इस बच्ची की कस्टडी मिस इशिता गोयल को सौंप दी जाएगी ।”

कोर्ट के शब्द जैसे आयांश की नसों में उतर गए । पर उसका चेहरा नहीं बदला । ना कोई घबराहट, ना कोई गुस्सा । बस… एक लंबी, सोचती हुई नज़र — सीधी जज पर ।

जज ने अंत में गंभीर स्वर में कहा:

“अगली सुनवाई 30 दिन बाद होगी । court is dismissed !"

TO BE CONTINUED...!

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